बांग्लादेश की निर्यात सुविधा बंद

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{ गहरी खोज } : 1971 में अगर भारत पाकिस्तान की फौज विरुद्ध बांग्लादेशियों की सैन्य सहायता के साथ-साथ राजनीतिक व आर्थिक समर्थन न करता तो शायद बांग्लादेश का इतिहास कुछ और होता। बांग्लादेश के अस्तित्व में आने में भारतीय जवानों ने अपना खून बहाया। आज कृतघ्न बांग्लादेश भारतीयों द्वारा उनकी आजादी की लड़ाई में दी गई सहायता को भूलकर बांग्लादेशियों का नरसंहार करने वाले पाकिस्तान जोकि भारत का दुश्मन है उसके साथ तथा भारत के पड़ोसी देश चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाकर भारत पर दबाव बढ़ाने के प्रयास में है।
बांग्लादेश की यूनुस सरकार की भारत विरोधी गतिविधियों को और चीन व पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए भारत सरकार ने भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डे से निर्यात करने की जो सुविधा दे रखी थी उसे 8 अप्रैल से बंद कर दिया है। हालांकि जमीन के रास्ते भूटान या नेपाल को बांग्लादेश जो निर्यात करता है, उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है। भारत का यह फैसला पहले से ही घटते निर्यात और अमेरिकी सरकार की तरफ से बांग्लादेश पर पारस्परिक शुल्क की घोषणा से हलकान बांग्लादेश की इकोनमी को और ज्यादा बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। भारत सरकार के इस फैसले को लेकर वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने एक सर्कुलर जारी किया है। इसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट की सुविधा लंबे समय से दी गई थी, लेकिन उससे भारत के बंदरगाहों व हवाईअड्डों पर असुविधा होने लगी थी। भारतीय निर्यात की लागत बढ़ने लगी थी और समय पर उत्पाद निर्यात करने में देरी होने लगी थी। ऐसे में आठ अप्रैल 2025 से यह सुविधा समाप्त की जा रही है। हालांकि इससे नेपाल या भूटान के लिए बांग्लादेशी निर्यात पर कोई असर नहीं होगा। यह सुविधा पड़ोसी देश को 2020 से दी जा रही थी। जून 2024 में जब तत्कालीन पीएम शेख हसीना भारत दौरे पर आई थीं, तब पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ हुई वार्ता में इस सुविधा को बढ़ाने पर बात हुई थी। गौरतलब है कि पीएम मोदी से मुलाकात से कुछ दिन पहले ही यूनुस ने चीन की यात्रा की थी। उस दौरान उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को पूरी तरह से बांग्लादेश से घिरे होने की बात कही थी। भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों को सुरक्षा को लेकर हमेशा संवेदनशील रहता है। यूनुस ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक में भारत से सटे चटगांव क्षेत्र में चीन को विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव रखा था। भारत के इस फैसले से यह और ज्यादा स्पष्ट हो गया है कि पिछले दिनों थाईलैंड में पीएम मोदी और यूनुस के बीच हुई बैठक के बाद रिश्तों में और ज्यादा तनाव आ गया है। सूत्रों के मुताबिक, मोहम्मद यूनुस ने जिस तरह से भारतीय पीएम के साथ बैठक का राजनीतिकरण करने की कोशिश की है, वह भारत को बहुत नागवार गुजरा है। मोदी से मुलाकात के बाद यूनुस के मीडिया सलाहकारों ने यह बात फैलाई थी कि भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण करने पर विचार कर रहा है। यह भी लिखा था कि पीएम मोदी ने माना कि हसीना यूनुस के खिलाफ अभियान चला रही है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जता इसे राजनीतिक दुराग्रह से प्रेरित बताया था। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कांग्रेस अधिवेशन के दौरान मोदी व उनकी सरकार पर बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस वाली अंतरिम सरकार को लेकर जो आरोप लगाये थे उन सबका जवाब भी मोदी सरकार द्वारा उठाए उपरोक्त कदम ने दे दिया है।

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