विपक्ष ने की डाटा संरक्षण अधिनियम की एक धारा निरस्त करने की मांग

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : इंडिया समूह के नेताओं ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम की धारा 44 (3) को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम और प्रेस की आजादी के विरुद्ध बताते हुए गुरुवार को इसे निरस्त करने की मांग की ।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया समूह’ के यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता गौरव गोगोई ने कहा, “हाल ही में, डीपीडीपी में संशोधन के संबंध में विभिन्न कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इंडिया समूह के नेताओं और लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संपर्क किया था।” उन्होंने कहा कि इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम एक ज्ञापन पर विपक्ष के लगभग 120 नेताओं के हस्ताक्षर हैं।
उन्होंने कहा, “ मंत्री महादेय से हमारा आग्रह है कि डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम से धारा 44 (3) को हटाया जाए। हमें उम्मीद है कि सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी और हमारे सुझावों पर ध्यान देगी, क्योंकि इस धारा के हटने से मूल विधेयक पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।”
लोक सभा में कांग्रेस के उप नेता श्री गोगोई ने कहा कि डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम में एक बहुत ही खतरनाक धारा – 44 (3) है, जो वस्तुतः आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) में संशोधन करती है।
उन्होंने दावा किया, “इस धारा के चलते आरटीआई अधिनियम की धज्जियां उड़ गयी हैं। इस धारा में प्रावधान है कि अगर आरटीआई के अंतर्गत मांगी गई जानकारी सार्वजनिक हित से जुड़ी नहीं हो तो उसे देने की कोई बाध्यता नहीं है।”
इस बीच, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की नेता और राज्य सभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया, “सरकार कई ऐसे प्रावधान लाकर आरटीआई अधिनियम को नष्ट कर रही है, जो सूचना तक जनता की पहुंच को बहुत सीमित कर देंगे। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।”
सुश्री चतुर्वेदी ने यह भी आरोप लगाया कि इस विधेयक का उपयोग प्रेस की आजादी और खोजी पत्रकारिता की आवाज को दबाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें भारी जुर्माने का प्रावधान भी है, जो संभावित रूप से कई करोड़ रुपये तक हो सकता है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास ने आरटीआई अधिनियम को “भारत के विकास में मील का पत्थर” कहा और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एक ही झटके में आरटीआई को खत्म कर दिया है। इससे प्रेस की आजादी पर दूरगामी असर पड़ेगा।
समाजवादी पार्टी के नेता जावेद अली खान, द्रमुक के पुदुक्कोट्टई एमएम अब्दुल्ला और राजद नेता नवल किशोर ने भी श्री गोगोई का समर्थन किया।

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